ग्रामीण क्षेत्र में कम पढ़े लिखे युवा वर्ग खेती के प्रति एक ओर जहां उदासीन होते जा रहे है वही पढ़े लिखे युवा खेती में नए प्रयोग कर लाखों की कमाई कर रहे है चाहे वह ऑर्गनिक फार्मिंग हो या जेनेटिकली मॉडिफाइड फल और सब्जियों की खेती ही क्यों न हो। आइए सबसे पहले इसके मूल पड़ताल करते है कि ऐसा क्यों हो रहा है ?
1 . नजरिये का फर्क है : जैसे खेती को ग्रामीण युवा वर्ग प्रतिष्ठित कार्य नहीं मानता ,जबकि पढ़े लिखे युवा इसे एक कॉर्पोरेट जैसे उद्यम की नजर से अधिकतम मुनाफा देने वाला एक रोजगार के रूप में देखते है।
2.समाजिक मान्यता : आजकल ग्रामीण युवा जो खेती व्यवसाय से जुड़े है उनको उतनी समाजिक प्रतिष्ठा घर परिवार और रिश्तेदारों में नहीं मिलती जितनी शहर से कुछ हजार रूपये कमाकर आने वाले व्यक्ति को मिलती है।
3. शादी सम्बन्ध : यह स्वीकार्य करने में कोई संकोच नहीं है कि समाज के लोग शहर की ओर आकर्षित है हालाँकि अभी महामारी के दौर में थोड़ा भ्रम टुटा है। फिर भी शहर में नौकरी रोजगार करने वाले लड़कों से साथ लड़कियों भविष्य माता पिता को ज्यादा सुखद दिखता है. इससे इंकार भी नहीं किया जा सकता। लेकिन यह पूर्ण सत्य है यह भी नहीं कहा जा सकता।
4. जानकारी का आभाव : जानकारी के आभाव में ग्रामीण युवा वैज्ञानिक पद्धति से खेती नहीं करते जिससे उनके लगत के मुकाबले मुनाफा काम होता जाता है। वे मिटटी की जरूरत की जाँच कराये बिना अपने पड़ोसी से प्रतिस्पर्धा कर उससे अधिक मात्रा में यूरिया ,फॉस्फोरस ,पोटाश इत्यादि का इस्तेमाल करते है जिससे लगत भी बढ़ती है और जमीन की उर्वरा शक्ति भी काम होता जाता है।
5. परम्परागत खेती : गाँवो में अधिकतर खेती गेहूं और चावल की होने लगी है जिसका उत्पादन देश में पहले से ही सरप्लस है इसलिए इसका उचित मूल्य नहीं मिल पाता है जबकि तेलहन,दलहन, फूल , सब्जियां, हल्दी औषधि के पेड़ पौधे जैसे नीम ,महुआ, तुलसी, एलोविरा, चन्दन, जैतून ,सहजन ,गूलर जामुन यदि की बड़े पैमाने पर खेती कर अच्छी आमदनी की जा सकती है। आइये आज इनमे से एक चंदन की खेती कैसे करे इस पर प्रकश डालते है।
चंदन के बारे में आपने सुना होगा. आपने यह भी सुना होगा कि चंदन की लकड़ी काफी महंगे दाम पर बिकती है। पूजा, हवन जैसे काम में इसका विशेष रूप से इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन क्या आपको चंदन की खेती के बारे में पता है?
चंदन की खेती देश के बहुत कम इलाकों में की जाती है और किसी ने एक पेड़ भी लगाया तो उसे 5 लाख रुपये तक की इनकम हो सकती है। जितने बड़े भूभाग में चंदन के पेड़ लगाएंगे, उतनी ज्यादा आपकी आमदनी बढ़ेगी….
हरियाणा के घरोंडा के एक किसान अपने खेतों में चंदन की खेती करते हैं। उन्हें कई बीघा जमीन पर चंदन के पौधे लगाए हैं जो धीरे-धीरे बढ़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि चंदन का पौधा लगभग 12 साल में तैयार हो जाता है। अगर कोई व्यक्ति 1 पौधा भी लगाए तो उसे 5-6 लाख रुपये की कमाई हो सकती है। इस किसान ने बताया कि 1 एकड़ में 600 चंदन के पौधे लगाए जा सकते हैं और इससे 12 साल बाद 30 करोड़ रुपये तक की कमाई हो सकती है । किसान के मुताबिक वे पिछले 3 साल से चंदन की खेती कर रहे हैं और अन्य लोगों से करवा रहे हैं…..
एक पौधे का दाम कितना
खेत में चंदन का पौधा लगाने के लिए इसके सीडलिंग की जरूरत होती है जो काफी महंगा मिलता है। लेकिन थोक में खरीदें तो लगभग 400-500 रुपये प्रति पौधे की दर से खरीद सकते हैं और खेतों में लगा सकते हैं. चंदन के पौधे के साथ विशेष खयाल यह रखना होता है कि इसकी खेती तभी होगा जब उसके साथ होस्ट की खेती होगी। होस्ट भी एक तरह से पौधा है जो चंदन के साथ लगाया जाता है। अगर होस्ट पौधा मर जाएगा तो चंदन भी मर जाएगा। 1 एकड़ खेत में 600 चंदन और 300 होस्ट पौधे लगाए जाते हैं।
सरकार ही करती है निर्यात
चंदन के पौधे तैयार होने के बाद वन विभाग को बताना होता है कि पेड़ कटने के लिए तैयार हैं. उसके बाद वन विभाग आगे का निर्देश देती है और निर्यात का काम शुरू होता है। चंदन दुनिया का सबसे महंगा पेड़ है क्योंकि इसकी लकड़ी प्रति किलो 27 हजार के आसपास बिकती है। एक पेड़ से 15-20 किलो लकड़ी निकल जाएगी जिसे बेचने पर 5-6 लाख रुपये की कमाई होती है। चंदन का इस्तेमाल बहुत व्यापक है जिससे इसकी कीमत बढ़ जाती है। सुगंधित तेल से लेकर आयुर्वेद तक में इसे उपयोग में लिया जाता है। ब्यूटी प्रोडक्ट में चंदन का इस्तेमाल बहुतायत में होता है।
तेजी से बढ़ते हैं पौधे
ढाई साल तक के चंदन को पौधे को लगाना उपयुक्त माना जाता है। 2-2.5 ढाई साल में चंदन का पौधा 2-2.5 फुट तक का हो जाता है जिसे साल में किसी मौसम में लगाया जा सकता है। हालांकि सर्दियों में यह पौधा नहीं लगाने की सलाह दी जाती है। पौधे की देखरेख में कुछ ज्यादा मेहनत नहीं है और पानी कम और सफाई ज्यादा रखनी होती है। इससे चंदन के पौधे तेजी से बढ़ते हैं। पौधों पर मेढ़ लगा दिए जाते हैं ताकि पानी न चढ़े। एक पौधे को हफ्ते में 2-3 लीटर पानी चाहिए होता है। चंदन के पौधे में पानी से ही बीमारी आती है। अगर पानी नियंत्रित रखा जाए तो चंदन के पौधे को कोई बीमारी नहीं लगेगी और वह अच्छी वृद्धि करेगा।
सांप लटकने की बात गलत
चंदन के बारे में कहा जाता है कि इस पर सांप लटके रहते हैं जो कि सही बात नहीं है. यह एक अफवाह जिसे इसलिए फैलाया गया ताकि लोग लकड़ी की चोरी न करें। 8 साल तक इस पौधे की चोरी भी नहीं हो सकती क्योंकि इसमें कोई खुशबू नहीं होती. 8 साल के बाद लगभग 12-15 साल तक पेड़ की निगरानी रखनी होती है। खेती के लिए सही तरीका है कि चंदन के पौधे को 5 बाई 10 के एरिया में लगाया जाए। इससे पौधे को तेजी से बढ़ने का मौका मिलता है।
ऐसे करें खेती
चंदन के साथ खेत में अन्य फसल भी उगा सकते हैं। 20 फुट की दूरी पर चंदन के पौधे लगाए जाएं और उसके बीच में अन्य फसल लगाकर उपज कमाई जा सकती है। हालांकि गन्ने और चावल की खेती नहीं करनी होती है क्योंकि इससे चंदन को नुकसान हो सकता है। चंदन का पौधा बड़ा होने पर अमरूद के पौधे की तरह लंबा होता है लेकिन टहनियां इसकी छोटी होती हैं. एक पौधे से 15-20 किलो लकड़ी निकलती है। इस हिसाब पौधे के आकार का अंदाजा लगा सकते हैं।
पानी से बचाएं
चंदन के पौधे को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती है। इसे देखते हुए चंदन की खेती कभी भी निचले इलाके में नहीं करनी चाहिए जहां पानी रुकता हो, इससे पौधे के सड़ने का खतरा रहता है। चंदन के पौधे सरकार की तरफ से बेचे जाते हैं, इसमें किसी प्राइवेट एजेंसी का कोई रोल नहीं। अभी सरकार ने चंदन के निर्यात पर भी रोक लगा रखी है। प्राइवेट एजेंसियां चंदन का निर्यात नहीं कर सकतीं। यह काम सिर्फ सरकार ही कर सकती है। खेती कोई भी कर ले लेकिन उसकी लकड़ी का निर्यात सिर्फ सरकार ही करेगी।
लाल और सफेद चंदन
चंदन की लकड़ी धीरे-धीरे पकती है और तब उसमें से खुशबू आने लगती है। खुशबू आने का मतलब है कि चंदन की लकड़ी में वजन आने लगता है. चंदन के पौधे को जितना समय रखा जाए, उसका वजन उसी हिसाब से बढ़ता है। चंदन दो तरह के होते हैं-लाल और सफेद। भारत में सफेद चंदन की ही खेती होती है क्योंकि यहां की मिट्टी उसी के हिसाब से अनुकूल होती है। यह मिट्टी के पीएच पर निर्भर करता है। अगर पीएच 4.5-6.5 तक है तो लाल चंदन लगा सकते हैं। अगर पीएच इससे ऊपर है तो सफेद चंदन लगा सकते हैं। हरियाणा, पंजाब सहित यूपी में मिट्टी का पीएच 7.5 के आसपास है जहां सफेद चंदन की खेती की जाती है। चंदन की खेती 5 डिग्री से लेकर 47 डिग्री तक में की जा सकती है।
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