ब्लैक फंगस (Mucormycosis) क्या है?
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ब्लैक फंगस (Mucormycosis ) एक फंगल संक्रमण है जो कई अलग-अलग फफूँदों  (molds) के कारण हो सकता है।

Mucormycosis तब होता है जब फफूँद द्वारा उत्पादित बीजाणु (spores) श्वास के जरिये शरीर में प्रवेश लेते हैं। लेकिन इसके अतिरिक्त ऐसा भी सकता है जब वे त्वचा में एक कट या अन्य ब्रेक के माध्यम से शरीर में प्रवेश करते हैं। लेकिन ऐसा बहुत कम होता है।

ब्लैक फंगस (Mucormycosis) यह नाम अब कोरोना के बाद बड़ी दहशत बना हुआ है। यह फंगस आम फंगस ही है जो कई बार हमे सड़ी हुई सब्जियों, कूड़े या खाद पर दिखाई दे जाती है। इस फंगस के स्पोर्स (बीज़) हम में से कई लोगों के नाक और कान में पहले से ही होते है। पर कभी किसी को इन्फेक्ट नहीं करते। इसका कारण यह हैं  की आम आदमी का इम्यून सिस्टम इस फंगस से बहुत आसानी से लड़ लेता है, और कभी यह फंगस हमारे शरीर के अंदर फैल नहीं पाती।

फिर अभी ऐसा क्या हो रहा है की यह नार्मल सी फंगस अब इतना डरा रही है।

इससे संक्रमित मरीज को दर्द, बुखार और कभी-कभी खांसी का कारण बनता है और चेहरे में संरचनाओं को नष्ट कर सकता है। आइये अब समझते है कि अभी ऐसी स्थिति क्यों बन रही है ?

फंगस को ग्लूकोस / मीठा बहुत पसंद है, और यह बात रिसर्च में भी साबित हो चूका है।  कोरोना के इलाज में स्टेरॉयड दिए जा रहा है जो की ब्लड शुगर को हाई रखता है, और अगर किसी को पहले से ही शुगर की बीमारी है तो यह आग में घी डालने जैसा हो जाता हैं । डॉक्टर्स साइटोकिन स्टॉर्म (Cytokine Storm) को कम करने के लिए स्टेरॉयड देते है

साइटोकाइन स्टॉर्म एक  ऐसी स्थिति है जब शरीर केवल वायरस से लड़ने के बजाय अपनी कोशिकाओं और ऊतकों पर हमला करना शुरू कर देता है।  इससे हमारा प्रतिरक्षा तंत्र (immune system) कमजोर हो जाता है। कमजोर प्रतिरक्षा तंत्र (immune system) और शरीर में हाई शुगर लेवल ब्लैक फंगस के  फैलने के लिए बिल्कुल सही स्थिति (Perfect conditions) है। कोरोना से स्वस्थ हुए (recover) ऐसे मरीजों (Patients) में कुछ हफ्तों में यह फैलाना शुरू कर देती है। आमतौर पर यह नाक से शुरू होकर आँख और कान में फेल जाती है। और एक बार यह फैलाना शुरू कर दे तो इलाज बहुत मुश्किल है। फिर भी इलाज के तौर पर डॉक्टर ऊतक के नमूनों में कवक की पहचान करके संक्रमण का निदान करते हैं।

ज्यादातर लोगों को एम्फोटेरिसिन बी (amphotericin B) की उच्च खुराक नसों में सुई (intravenous) के जरिये दी जाती है और संक्रमित और मृत ऊतक को हटाने के लिए सर्जरी की जाती है।

कोरोना से स्वस्थ हुए व्यक्ति को क्या सावधनियाँ रखनी चाहिए ?

देखने की बात यह है की अगर आप कोरोना से ठीक हुए हों, और अगर आपने स्टेरॉयड भी लिए हों, और साथ में आपको डायबिटीज भी रहती हो तो आप रेड केटेगरी में हो। सबसे पहले तो अपना शुगर लेवल सही रखे। मीठा खाना बिल्कुल कम कर दे।  और अगर थोड़ा भी नाक कान में सूखापन, खुजली, सूजन जैसा लगे तो अपने ENT स्पेशलिस्ट को दिखाए। इसमें एक दिन की देरी भी सही नहीं है। 

क्या ब्लैक फंगस सिर्फ कोरोना से स्वस्थ हुए लोगों के अतिरिक्त अन्य किसी व्यक्ति को भी संक्रमित कर सकता है ?

लेकिन यह जरुरी नहीं है कि  कोरोना से स्वस्थ हुए मरोजों को ही यह बीमारी होगा बल्कि ऐसे कई मामले सामने आ रहे है जिनका कोई कोरोना का इतिहास नहीं है। वास्तव में कवक (fungi) की कई अलग-अलग प्रजातियां म्यूकोर्मिकोसिस का कारण बन सकती हैं। वे Mucorales नामक सांचों के एक बड़े समूह से संबंधित हैं। इन सांचों में राइजोपस(Rhizopus), राइजोमुकोर (Rhizomucor) और म्यूकोर (Mucor) शामिल हैं। प्रत्येक प्रजाति समान लक्षणों का कारण बनती है। इन्हीं प्रजातियों में एक है ब्लैक फफूंद (black fungus) जिसके संक्रमण का खतरा बढ़ता जा रहा है।

ये फफूँद (Molds ) पर्यावरण में आम हैं  हालांकि, ये फफूँद आमतौर पर संक्रमण का कारण नहीं बनते हैं। Mucormycosis आमतौर पर तब होता है जब निम्न में से कोई एक मौजूद होता है:

मधुमेह (Diabetes) को ठीक से नियंत्रित नहीं किया जाता है।

प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) दवाओं जैसे कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स (corticosteroids ) या ल्यूकेमिया (leukemia) या अन्य विकारों (other disorders) या ऐसी दवाएं जो प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करती हैं ।

शरीर में लोहे के अधिकता (iron overload) के इलाज के लिए डेफेरोक्सामाइन (Deferoxamine) का उपयोग किया जाता है, जो Mucormycosis के कारण हो सकते हैं।

इन फफूंद के बीजाणुओं को शरीर में प्रवेश करने से कई प्रकार के संक्रमण हो सकते हैं:
  • नाक, साइनस, आंखें और मस्तिष्क सबसे अधिक बार संक्रमित होते हैं। यह गंभीर संक्रमण जिसे राइनोसेरेब्रल म्यूकोर्मिकोसिस (rhinocerebral mucormycosis) कहा जाता है, अक्सर घातक होता है।
  • बीजाणु फेफड़ों में प्रवेश कर सकते हैं, जिससे फुफ्फुसीय म्यूकोर्मिकोसिस (pulmonary mucormycosis) हो सकता है।
  • जब ऐसे बीजाणु मुहं में निगल लिए जाते हैं, तो पाचन तंत्र (digestive tract) संक्रमित हो सकता है।
  • जब बीजाणुओं के प्रवेश त्वचा के माध्यम से होता है, तो यह त्वचा को संक्रमित करता है, जिसे क्यूटेनियस म्यूकोर्मिकोसिस (cutaneous mucormycosis) कहा जाता है।
  • यह आमतौर पर सामान्य प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में तब होता है जब दूषित मिट्टी टूटी हुई त्वचा के संपर्क में आती है, जैसा कि भूकंप या अन्य प्राकृतिक आपदाओं के दौरान या युद्ध के दौरान विस्फोट की चोटों में घायल लोगों में हो सकता है।

Mucormycosis का उपचार

  • एंटिफंगल दवाएं (Antifungal drugs)
  • अंतर्निहित स्थिति का उपचार (Treatment of the underlying condition)
  • संक्रमित और मृत ऊतक को हटाने के लिए सर्जरी (Surgery to remove infected and dead tissue)

मृत्यु को रोकने या व्यापक सर्जरी से बचने के लिए म्यूकोर्मिकोसिस का प्रारंभिक निदान और उपचार महत्वपूर्ण है, जो अक्सर विकृति का कारण बनता है। इस प्रकार, इस संक्रमण का निदान या संदेह होते ही उपचार शुरू कर दिया जाता है।

म्यूकोर्मिकोसिस या संदिग्ध म्यूकोर्मिकोसिस वाले अधिकांश लोगों का इलाज अंतःशिरा (intravenously) रूप से दी जाने वाली एंटिफंगल दवा (antifungal drug) एम्फोटेरिसिन बी (amphotericin B) की उच्च खुराक के साथ किया जाता है। Isavuconazole मुंह से लिया जाता है या अंतःशिरा (intravenously) रूप से दिया जाता है।

अंतर्निहित स्थिति को नियंत्रित करना बहुत महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए, कम श्वेत रक्त कोशिका की संख्या वाले लोगों को उनकी श्वेत रक्त कोशिका की संख्या बढ़ाने के लिए इंजेक्शन दिए जाते हैं। अनियंत्रित मधुमेह वाले लोगों को रक्त शर्करा के स्तर को कम करने के लिए इंसुलिन दिया जाता है।

संक्रमित ऊतक और विशेष रूप से मृत ऊतक को शल्य चिकित्सा द्वारा हटा दिया जाना चाहिए।

Mucormycosis एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है।

एक सलाह :– अगर किसी मरीज को स्टेरॉयड की जरुरत पड़ती है तो स्टेरॉयड का उपयोग अनुभवी डॉक्टर की सलाह पर समझदारी से करें, शुगर लेवल ठीक रखें। ब्लैक फंगस फिर से आम फंगस ही रह जाएगी, अगर हम इस के बारे में जागरूक रहेंगे तो।

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