Bihar Election 2025
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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 — क्षेत्रवार संभावनाएँ और NDA बनाम महागठबंधन: एक सारगर्भित विश्लेषण

संक्षेप: अभी तक के एग्ज़िट-पोल और मीडिया रिपोर्टों के आधार पर अधिकांश सर्वेक्षण और एग्ज़िट-पोल NDA (BJP-JD(U) समेत) को बढ़त दे रहे हैं; मगर कई जिलों और वोट-समूहों में मुकाबला बेहद नज़दीकी है। वोटर-टर्नआउट रिकॉर्ड स्तर पर रहा, और क्षेत्र-वार पैटर्न, जातीय गणित, स्थानीय गठजोड़ तथा तीव्र हार्ड-कम्पेनिंग अंतिम नतीजे तय करने वाले प्रमुख कारक होंगे।

अधिकांश प्रमुख एग्ज़िट-पोल NDA को बढ़त दिखा रहे हैं — कई सर्वे उसे साधारण बहुमत या उससे ऊपर तक पहुंचते हुए दिखा रहे हैं (कुछ सर्वे 120-140 के दायरे में NDA का अनुमान दे रहे हैं)। महागठबंधन (MGB / RJD-led INDIA घटक) भी मजबूत है, पर सीटों में कम होने की भविष्यवाणी अधिकांश सर्वे करते दिख रहे हैं। कुछ सर्वे जिलेवार/क्षेत्रवार मत विभाजन में दोनों गठबंधनों के बीच बराबरी दिखाते हैं — संकेत है कि मत-विभाजन समतल नहीं बल्कि क्षेत्र और वोट-ब्लॉक के आधार पर बदल रहा है।


इस चुनाव में कुल वोटर-टर्नआउट ~66.9% रिकॉर्ड रहा — जो कि उच्च राजनीतिक ब्याज और सक्रिय मतदान का संकेत है। उच्च मतदान का असर यह हो सकता है कि परंपरागत वोट-ब्लॉक्स के बाहर के मतदाता (युवा, पहली बार वोट डालने वाले) निर्णायक हुए — जो किसी गठबंधन के लिए फायदेमंद या नुकसानदायक दोनों हो सकता है, क्षेत्र पर निर्भर करता है।

नोट: नीचे की क्षेत्र-विभाजन पारंपरिक चुनावी ज़ोनिंग पर आधारित है — मिथिला/सीमान्चल (उत्तरी-पूर्व), मुज़फ़्फरपुर/दरभंगा इलाक़े, कोसी/पूर्णिया/कुशीनगर-टाइप ज़ोन, मध्यम पूर्वी-बिहार, भोजपुर-आरा-आगरा (मध्य-विकास), मगध/नालन्दा (दक्षिण/केंद्रीय), और पटना/दूर-दराज शहरी ज़ोन।

  • यहाँ प्रभावशाली रूप से मुस्लिम और मध्यम तबके किसान वोट हैं; महागठबंधन का असर युवाओं और पहली बार वोटर्स में बेहतर देखा गया है। परंतु NDA की मजबूत संगठनात्मक मशीनरी और सीट-स्तरीय उम्मीदवारों की सक्रियता ने कई स्थानों पर मुकाबला बनाए रखा। एग्ज़िट-पोल कहते हैं कि कोसी-पूर्णिया जैसे इलाकों में NDA कुछ सीटें ले सकता है, पर अधिकांश सीटें नज़दीकी रहीं।

इस ज़ोन में पारंपरिक रूप से यादव, कुर्मी/कैलाश जैसे मध्यम जाति और भूमिहार/बुरे प्रभावी रहे हैं। RJD-केंद्रित महागठबंधन को यादव वोट बेस मिलता है; NDA की स्थानीय रणनीति और LJP/छोटे घटक दलों का कैंडिडेट नेटवर्क निर्णायक हो सकता है। कई सर्वे यहां NDA को बढ़त दिखाते हैं किन्तु सीटें बँटी हुई मानी जा रही हैं।

  • यहाँ JD(U) की ज़रूरत और नेता-केंद्रित मोर्चेबंदी का प्रभाव देखा जाता है। NDA की पैठ और विकास/स्थानीय प्रशासन के मुद्दे महत्त्वपूर्ण रहे। इस क्षेत्र में NDA के लिए अपेक्षाकृत अनुकूल परिदृश्य देखा जा रहा है।

 शहरी-पटना और आसपास

  • शहरी मध्य-वर्ग, युवा और पहली बार वोटर्स में वैरायटी अधिक। कुछ सर्वे बताते हैं कि युवा वोटरों का झुकाव महागठबंधन की तरफ रहा, पर महिलाओं और पारंपरिक शहरी वोट बेस ने NDA को सहारा दिया। समेकित प्रभाव से सीटें नज़दीकी रहीं; जिस गठबंधन की जमीन मजबूत और उम्मीदवार ज्यादा स्वीकार्य रहा, वही लाभ उठाएगा।


NDA

  • BJP: राज्य में संगठनात्मक रूप से मजबूत; शहरी और ऊपरी-मध्यम जातियों में पकड़; केंद्रीय नेतृत्व का संदेश और संसाधन निर्णायक।
  • JD(U): परंपरागत केंद्र; मगर पिछले कुछ वर्षों में उसकी बढ़ती चुनौतियाँ और सीट-आवंटन पर दबाव रहा — JD(U) के स्थायित्व पर निगाह रहेगी।
  • LJP (Ram Vilas / Chirag): ख़ासकर दलित-समर्थक और कुछ ग्रामीण सीटों में निर्णायक — हाल के सीट-वितरण में LJP को कुछ बढ़त मिली है, जिससे NDA की कुल सीट-संख्या प्रभावित हो सकती है।

मजबूत बिंदु: संगठन, धन, केंद्र-कथ्य और स्थानीय गठजोड़।
कमज़ोर बिंदु: कुछ क्षेत्रों में जातीय प्रतिक्रिया और युवाओं का असंतोष।

  • RJD: यादव-मुस्लिम गठजोड़ की मजबूत पकड़; नेतृत्व-केंद्रित अभियान; पर सीट-वितरण और सहयोगियों के बीच मतभेद चिंता का विषय।
  • Congress: कुछ शहरी तथा सेक्युलर वोट साझा कर सकता है; पर बिहार में अलग मजबूती सीमित।
  • Left एवं VIP: स्थानीय प्रभावी; यदि RJD ने उचित सीटें न दीं तो गठबंधन में असंतोष सीट-खो देने का कारण बन सकता है — रिपोर्ट्स से स्पष्ट है कि महागठबंधन में सीट-शेयर पर गतिरोध रहा।

मजबूत बिंदु: जातीय संबद्धता (यादव-मुस्लिम), युवा-प्रेरित संदेश कुछ इलाकों में।
कमज़ोर बिंदु: गठबंधन-निर्णय, सीट-वितरण विवाद और स्थानीय संगठन-कमी (किसी जगह)।

  1. क्षेत्रीय संगठन और बूथ-स्तर प्रबंधन — कौन बेहतर एजेंट-मालिश और कैम्पेन चलाता है।
  2. जातीय-गणित और बहु-जाति गठजोड़ — छोटे दलों की भूमिका (LJP, VIP, Left) निर्णायक।
  3. युवा/पहली बार वोटर और महिला मतदान पैटर्न — एग्ज़िट-पोल बताते हैं युवा कुछ इलाकों में MGB को दे रहे हैं; महिलाएँ NDA के साथ रहीं।
  4. स्थानीय मुद्दे (किसानी, नौकरी, कानून-व्यवस्था) बनाम राष्ट्रीय/केंद्रीय मुद्दे — दोनों गठबंधनों ने मिश्रित रणनीति अपनायी है।
  5. अंतिम उम्मीदवार चयन और अनुचित प्रत्याशियों का विरोध — व्यक्तिगत स्वीकार्यता कई सीटों पर तय करेगी।

6) संभावनाओं का सार (संक्षेप में)

  • यदि एग्ज़िट-पोल की प्रवृत्ति सही निकले, तो NDA को 243-सदस्य विधानसभा में साधारण बहुमत तक का जीत का रास्ता दिखता है, और कुछ सर्वे इसे और भी अधिक सीटें देते हैं। पर कई इलाके अभी भी नज़दीकी हैं; महागठबंधन भी 80–120 सीटों के दायरे में मजबूत स्थिति में दिखता है। अंतिम गणना में बूथ-स्तरीय प्रदर्शन और छोटे दलों का रुख निर्णायक होगा।

7) निष्कर्ष और अंतर्विचार

बिहार में इस बार केवल दो-धुरी लड़ाई नहीं — क्षेत्रीय विरासत, जातीय गठजोड़, स्थानीय नेताओं की स्वीकार्यता और युवा/महिला मतों की भूमिका ने चुनाव को जटिल बना दिया है। एग्ज़िट-पोल NDA-केंद्रित परिणाम दिखा रहे हैं पर वास्तविक नतीजे (गणना 14 नवंबर) पर ही अंतिम प्रमाण मिलेगा। चुनावी गणित में छोटे दलों की चाल और स्थानीय प्रत्याशियों की स्वीकार्यता आखिरी पल में परिणाम टेढ़ा-मेढ़ा कर सकती है — इसलिए प्रदेश के 243 में क्षेत्रवार जीत की संभावनाएँ गुंजायमान हैं: NDA आगे दिखता है, पर महागठबंधन ने कमजोरियां कम कर दी हैं और कई सीटें अभी खुली हुई हैं।

— अरविंद सिंह
समाज पर्यवेक्षक • राजनीतिक विश्लेषक • शिक्षाविद

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