राष्ट्रीय ध्वज
भारत के राष्ट्रीय ध्वज में तीन रंग हैं। राष्टरीय ध्वज में समान अनुपात में तीन आड़ी पट्टियाँ हैं, गहरा केसरिया रंग ऊपर, सफेद बीच में और गहरा हरा रंग सबसे नीचे है। ध्वज की लम्बाई-चौड़ाई का अनुपात 3:2 है। सफेद पट्टी के बीच में नीले रंग का एक चक्र है। इसका प्रारूप सारनाथ में अशोक सिंह स्तम्भ पर बने चक्र से लिया गया है। इसका व्यास लगभग सफेद पट्टी की चौड़ाई जितना है और इसमें चौबीस तीलियाँ हैं। भारत की संविधान सभा ने राष्ट्रीय-ध्वज का प्रारूप 22 जुलाई 1947 को अपनाया।
राष्ट्रीय पशु
भारत का राष्ट्रीय पशु बाघ है। इसकी आठ प्रजातियों में से भारत में पाई जाने वाली प्रजाति को रायल बंगाल टाइगर के नाम से जाना जाता है। उत्तर पश्चिमी भारत को छोड़कर बाकी सारे देश में यह प्रजाति पाई जाती है। देश के बाघों की घटती संख्या जो 1972 में घटकर 1827 तक आ गयी थी, को थामने के लिए अप्रैल 1973 में बाघ परियोजना नाम से एक वृहद संरक्षण कार्यक्रम शुरू किया गया। बाघ परियोजना के अन्तर्गत देश में अब तक 27 बाघ अभयारण्य स्थापित किए गए हैं जिनका क्षेत्रफल 33,875 वर्ग किलोमीटर है।
राष्ट्रीय पक्षी
भारत का राष्ट्रीय पक्षी मयूर है। हंस के आकार के इस रंग-बिरंगे पक्षी की गर्दन लंबी, आँख के नीचे एक सफेद निशान और सिर पर पंखे के आकार की कलगी लगी होती है। नर मयूर,मादा मयूर की अपेक्षा अधिक सुंदर होता है। मयूर भारतीय उप-महाद्वीप में सिंधु नदी के दक्षिण और पूर्व से लेकर, जम्मू और कश्मीर, असम के पूर्व मिजोरम के दक्षिण तक पूरे भारतीय प्रायद्वीप में व्यापक रूप से पाया जाता है। मयूर को लोगों का पूरा संरक्षण मिलता है। इसे धार्मिक या भावात्मक आधार पर कभी भी परेशान नहीं किया जाता है। भारतीय वन्य प्राणी (सुरक्षा) अधिनियम, 1972 के अंतर्गत इसे पूर्ण संरक्षण प्राप्त है।
राष्ट्रीय चिन्ह
भारत का राष्ट्रीय चिन्ह सारनाथ स्थित अशोक सिंह स्तम्भ की अनुकृति है जो सारनाथ के संग्रहालय में सुरक्षित है। मूल स्तम्भ में शीर्ष पर चार सिंह हैं जो एक-दूसरे की ओर पीठ किए हुए हैं। इनके नीचे घंटे के आकार के पद्म के ऊपर एक चित्रवल्लरी में एक हाथी, चौकड़ी भरता हुआ एक घोड़ा, एक साँड़ तथा एक सिंह की उभरी हुई मूर्तियाँ हैं जिनके बीच-बीच में चक्र बने हुए हैं। एक ही पत्थर को काटकर बनाए गए इस सिंह स्तम्भ के ऊपर ‘धर्मचक्र’ रखा था।
भारत सरकार ने यह चिन्ह 26 जनवरी 1950 को अपनाया। इसमें केवल तीन सिंह दिखाई पड़ते हैं, चौथा दिखाई नहीं देता। पट्टी के मध्य में उभरी हुई नक्काशी में चक्र है, जिसके दाईं ओर एक साँड और बाईं ओर एक घोड़ा है। आधार का पद्म छोड़ दिया गया है। दाएं तथा बाएं छोरों पर अन्य चक्रों के किनारे हैं। फलक के नीचे मुंडकोपनिषद का सूत्र ‘सत्यमेव जयते’ देवनागरी लिपि में अंकित है, जिसका अर्थ है- ‘सत्य की ही विजय होती है’।
राष्ट्रगान
रवीन्द्रनाथ ठाकुर द्वारा रचित और संगीतबद्ध ‘जन-गण-मन’ को संविधान सभा ने भारत के राष्टï्रगान के रूप में 24 जनवरी 1950 को अपनाया था। यह सर्वप्रथम 27 दिसम्बर 1911 को भारतीय राष्टरीय काँग्रेसके कलकत्ता अधिवेशन में गाया गया था। पूरे गीत में पाँच पद हैं। प्रथम पद, राष्ट्रगान का पूरा पाठ है, जो इस प्रकार है :
जन-गण-मन अधिनायक,
जय हे भारत-भाग्य विधाता
पंजाब-सिंधु-गुजरात-मराठा-
द्राविड़ उत्कल बंग
विंध्य-हिमाचल-यमुना-गंगा
उच्छल-जलधि तरंग
तब शुभ नामे जागे,
तब शुभ आशिष माँगे,
गाहे तब जय-गाथा
जन-गण-मंगलदायक जय हे,
भारत-भाग्य विधाता
जय हे, जय हे, जय हे,
जय जय जय जय हे।
राष्ट्रगान के गायन की अवधि लगभग 52 सेकेण्ड है। कुछ अवसरों पर राष्ट्रगान को संक्षिप्त रूप से गाया जाता है जिसमें इसकी प्रथम और अंतिम पंक्तियाँ (गाने का समय लगभग 20 सेकेण्ड) होती हैं।
राष्ट्रगीत
बंकिमचंद्र चटर्जी का लिखा ‘वन्दे मातरम्’ गीत स्वतंत्रता संग्राम में जन-जन का प्रेरणा स्रोत था। यह गीत प्रथम बार 1896 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में गाया गया था। इसका प्रथम पद इस प्रकार है :
वन्दे मातरम्
सुजलाम्, सुफलाम्,
मलयज-शीतलाम्,
शस्यश्यामलाम्, मातरम् !
शुभ्रज्योत्सना,
पुलकितयामिनीम्
फुल्लकुसुमित द्रुमदल शोभिनीम्
सुहासिनीम् सुमधुर भाषिणीम्
सुखदाम्, वरदाम्, मातरम् !
राष्ट्रभाषा
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 के अनुसार संघ गणराज्य भारत की राजभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी तय की गई है। इसके अतिरिक्त संविधान द्वारा कुल 18 भाषाएँ शासकीय घोषित की गयी हैं।
भारत की राष्ट्रभाषा हिन्दी है। विश्व में हिन्दी तीसरी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा (45.7 करोड़ व्यक्ति) है।
राष्ट्रीय पंचाँग (कैलेण्डर)
ग्रिगेरियन कैलेण्डर के साथ-साथ देशभर के लिए शक संवत् पर आधारित एकरूप राष्ट्रीय पंचाँग स्वीकार किया गया है, जिसका पहला महीना चैत्र है और सामान्य वर्ष 365 दिन का होता है। इसे 22 मार्च 1957 को अपनाया गया।
राष्ट्रीय पंचांग का आधार हिन्दी महीने होते हैं, महीने के दिनों की गणना तिथियों के अनुसार होती है। इनमें घट-बढ़ होने के कारण ही देश में मनाये जाने वाले त्यौहार भी आगे-पीछे होते रहते हैं।