19 अगस्त 1947 को भारतीय संविधान के निर्माण के लिए संविधान सभा की प्रारूप समिति गठित हुई। डा. भीमराव अम्बेडकर की अध्यक्षता में बारहवाँ अधिवेशन 24 जनवरी 1950 को हुआ। संविधान सभा के पहले अस्थायी अध्यक्ष सच्चिदानन्द सिन्हा और पहले स्थायी अध्यक्ष डा. राजेन्द्र प्रसाद तथा बी. एन. राव संवैधानिक सलाहकार थे। 26 जनवरी, 1950 को देश में संविधान लागू हो गया।
संविधान की विशेषताएं
भारत का संविधान कोई मौलिक दस्तावेज नहीं है। भारतीय संविधान पर ब्रिटिश, अमेरिका, आस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी, जापान, आयरलैण्ड, द. अफ्रीकी तथा फ्रांसीसी संविधान का संयुक्त प्रभाव है। संविधान की मुख्य विशेषताएं इसका लिखित व निर्मित होना, अद्र्ध कठोर व अद्र्ध नमनीयता, केन्द्रीकृत संघात्मक व्यवस्था, प्रभुत्व संपन्न समाजवादी, पंथ निरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक, गणराज्य की व्यवस्था होना, संसदात्मकता, न्यायिक पुर्नविलोकनीयता व नागरिकों के मूलाधिकारों का प्रावधान होना मानी जाती है। संविधान के अधीन समस्त अधिकार भारतीय जनता में ही निहित हैं। कार्यपालिका, विधायिका व न्यायपालिका इसके तीन स्तंभ हैं।
भारतीय संविधान में शासन के लिए ब्रिटिश प्रणाली पर आधारित पद्धति की व्यवस्था है। संसदीय सरकार के संविधान का ढाँचा एकात्मक विशेषताओं के साथ-साथ संघात्मक है। भारत का राष्ट्रपति संघ की कार्यपालिका का संवैधानिक प्रमुख होता है। संविधान का अनुच्छेद 74 (1) यह निर्दिष्ट करता है कि कार्य संचालन में राष्ट्रपति की सहायता करने तथा उसे परामर्श देने के लिए एक मंत्रिपरिषद होगी तथा राष्ट्रपति प्रधानमंत्री के परामर्श से ही कार्य करेगा। इस प्रकार कार्यपालिका की वास्तविक शक्ति प्रधानमंत्री के नेतृत्व में गठित मंत्रिपरिषद में निहित है। मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी है।
संविधान में विधायी शक्ति को संसद एवं राज्य विधानसभाओं में बाँटा गया है तथा शेष शक्तियाँ संसद को प्राप्त हैं। संविधान में संशोधन का अधिकार भी संसद को ही प्राप्त है।
न्यायपालिका, भारत के नियंत्रक तथा महालेखा परीक्षक, लोकसेवा आयोगों और मुख्य निर्वाचन आयुक्त की स्वतंत्रता बनाए रखने के लिए संविधान में प्रावधान है।