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नागरिकता (citizenship)

संविधान में संपूर्ण भारत के लिए एक समान नागरिकता की व्यवस्था की गई है। ऐसा प्रत्येक व्यक्ति भारत का नागरिक माना गया है जो संविधान के लागू होने के दिन (26 जनवरी 1950 को)भारत का अधिशासी था और (क) भारत में पैदा हुए थे, या (ख) जिसके माता-पिता में से एक भारत में पैदा हुआ था या (ग) जो उस तारीख से ठीक पहले सामान्यतया कम से कम पाँच वर्ष से भारतीय क्षेत्र में रह रहा था। नागरिकता अधिनियम 1955 में संविधान लागू होने के पश्चात नागरिकता ग्रहण करने तथा समाप्त करने के सम्बन्ध में प्रावधान दिए गए हैं।

मौलिक कत्र्तव्य (Fundamental Duties)

सन् 1976 में भारतीय संविधान में किए गए संशोधन के माध्यम से भाग 4-क (अनुच्छेद 51 क) जोड़ा गया, जिसमें नागरिकों के लिए दस मूल कत्र्तव्यों का प्रावधान किया गया। इसके अनुसार भारत के प्रत्येक नागरिक का कत्र्तव्य होगा कि वह

(1) संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्टरध्वज और राष्टरगान का आदर करे

(2) स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्टरीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोए रखे और उनका पालन करे

(3) भारत की प्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करे और उसे अक्षुण्ण रखे

(4) देश की रक्षा करे और आह्वन किए जाने पर राष्टर की सेवा करे

(5) भारत के सभी लोगों में समरसता और समान भातृत्व की भावना का निर्माण करे जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग पर आधारित सभी भेद भाव से परे हों, ऐसी प्रथाओं का त्याग करे जो स्त्रियों के सम्मान के विरुद्ध हों

(6) सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्व समझे और उसका परिरक्षण करे

(7) प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा तथा प्राणि मात्र के प्रति दया भाव

(8) वैज्ञानिक दृष्टिïकोण, मानववाद, ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास

(9) सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखे और हिंसा से दूर रहे।

(10) व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढऩे का सतत प्रयास करे जिससे राष्ट्र निरंतर बढ़ते हुए प्रयत्न और उपलब्धि की नई ऊँचाईयों को छू ले।

मौलिक अधिकार (Fundamental Rights)

संविधान के तीसरे भाग के अनुच्छेद 12 से 35 तक में मौलिक अधिकारों का उल्लेख किया गया है। ये मौलिक अधिकार हैं :

(1) समानता का अधिकार : कानून की समानता तथा कानून के समक्ष समानता, धर्म, मूल, वंश, जाति, लिंग, या जन्मस्थान के आधार पर भेदभाव का निषेध और रोजगार के लिए समान अवसर |

(2) विचारों की अभिव्यक्ति, सम्मेलन करने, संस्था या संघ बनाने, भारत में सर्वत्र आने-जाने, भारत के किसी भी भाग में रहने तथा कोई वृत्ति या व्यवसाय करने का अधिकार (इनमें से कुछ अधिकार राज्य की सुरक्षा, विदेशों के साथ मित्रतापूर्ण संबंधों, लोक-व्यवस्था, शिष्टाचार या सदाचार के अधीन हैं),

(3) शोषण से रक्षा का अधिकार : इसके अंतर्गत सभी प्रकार के बालश्रम और व्यक्तियों के क्रय-विक्रय को अवैध करार दिया गया है,

(4) अंत:करण की प्रेरणा तथा धर्म को निर्बाध रूप से मानने, उसके अनुरूप आचरण करने और उसका प्रचार करने की स्वतंत्रता का अधिकार,

(5) नागरिकों के किसी वर्ग को अपनी संस्कृति, भाषा और लिपि का संरक्षण करने तथा अल्पसंख्यकों द्वारा पसन्द की शिक्षा ग्रहण करने एवं शिक्षा संस्थाओं की स्थापना करने और उन्हें चलाने का अधिकार, और

(6) मूल अधिकारों को लागू करने के लिए संवैधानिक उपचारों का अधिकार।

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