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पृथ्वी को चारों ओर सैकड़ों किमी. की मोटाई में लपेटने वाले गैसीय आवरण को वायुमंडल कहते हैं। वायुमंडल गर्मी को रोककर रखने में एक विशाल ‘काँच घरÓ का काम करता है,जोलघु तरंगों और विकिरण को पृथ्वी के धरातल पर आने देता है, परंतु पृथ्वी से विकरित होने वाली तरंगों को बाहर जाने से रोकता है। इस प्रकार वायुमंडल पृथ्वी पर सम तापमान बनाए रखता है।

वायुमण्डल की वायु के मुख्य अवयव नाइट्रोजन (78′), ऑक्सीजन (21′), ऑर्गन (0.93′) और कार्बन-डाई-ऑक्साइड (0.003′) हैं। वायुमण्डल में जलवाष्प एवं गैसों के अतिरिक्त सूक्ष्म ठोस कणों की उपस्थित भी ज्ञात की गई है। वायुमण्डल को निम्न 5 मण्डलों में विभाजित किया जाता है-

 क्षोभमण्डल (troposphere)- यह वायुमंडल का सबसे निचला हिस्सा है। इसकी ऊँचाई धरातल से 12 किमी. तक है। इस मण्डल में जलवाष्प एवं धूल कणों की अत्याधिकमात्रा के विद्यमान रहने के कारण वायुमण्डल के गर्म एवं शीतल होने की विकिरण, संचालन तथा संवाहन की क्रियाएँ सम्पन्न होती हैं।

 समताप मण्डल (Stratosphere) क्षोभ सीमा के ऊपर औसत 50 किमी. की ऊँचाई पर समतापमण्डल का विस्तार पाया जाता है। इस मण्डल में 20 से 35 किमी. के बीच ओजोन परत की सघनता काफी अधिक है, इसलिए इस क्षेत्र को ओजोन मंडल भी कहा जाता है।

मध्य मण्डल (Mesophere) – समताप मण्डल के ऊपर सामान्यत: 50 से 80 किमी. की ऊँचाई वाला वायुमण्डलीय भाग मध्य मण्डल के नाम से जाना जाता है। इस मण्डल में ऊँचाईके साथ तापमान का ह्रस होता है। यहाँ तापमान -100शष्ट हो जाता है।

तापमण्डल (Thermosphere) – धरातल से 80 किमी. की ऊँचाई से  लेकर 640 किमी. तक तापमण्डल का विस्तार है। इस मण्डल में ऊँचाई के साथ तापमान में वृद्धि होती है और इसकी सबसे ऊपरी सीमा पर 1700शष्ट तापमान अनुमानित है। 

बाह्यमण्डल (Exosphere)- वायुमंडल में पृथ्वी के धरातल से 640 किमी. के ऊपर बाह्यïमण्डल का विस्तार मिलता है। इसे वायुमण्डल का सीमांत क्षेत्र कहा जाता है। इस मण्डल की वायु अत्यंत विरल होती है।

वायुमंडल का संघटन

घटक आयतन के अनुसार प्रतिशत
नाइट्रोजन 78.08
ऑक्सीजन 20.9
ऑर्गन 0.93
कार्बन डाईऑक्साइड 0.03
नियॉन 0.0018
हीलियम 0.0005
ओजोन 0.00006
हाइड्रोजन 0.00005
मीथेन अल्प मात्रा
क्रिप्टॉन अल्प मात्रा
जीनॉन अल्प मात्रा
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