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LAN : इसका पूरा मतलब है लोकल एरिया नेटवर्क। यह वहां इस्तेमाल होता है जहां कंप्यूटरों का नेटवर्क होता है। जब एक बिल्डिंग या कार्यालय में कंप्यूटर नेटवर्क होता है तो इसे ही लैन कहा जाता है। यहां पर सारे कंप्यूटर एक दूसरे से जुड़े होते हैं। लेकिन एक लैन को दूसरे से भी टेलीफोन लाइन या रेडियो तरंगों से जोड़ा जा सकता है ताकि एक बड़ा एरिया तैयार हो। इसे वैन यानी वाइड एरिया नेटवर्क कहा जाता है।

IP ADRESS :आईपी एड्रेस इंटरनेट की दुनिया का सबसे लोकप्रिय शब्द है। इसका पूरा अर्थ है इंटरनेट प्रोटोकोल एड्रेस। यह अंकीय व्यवस्था होती है। हर कंप्यूटर या ऐसे उपकरण को यह अंक दिया जाता है ताकि वह नेटवर्क पर कांम कर सके। आईपी एड्रेस दो काम करता है। एक तो वह नेटवर्क की पहचान करता है और दूसरे लोकेशन का पता लगाता है।इंटरनेट प्रोतोकोल के डिजाइनरों ने आईपी एड्रेस को 32बिट नंबर माना है। इसे इंटरनेट प्रोतोकोल वर्सन4 कहा जाता है और यह अब भी इस्तेमाल होता है। इसमें नंबर चार के ब्लॉक में होते हैं, मसलन 1.60.10.240 एक आईपी एड्रेस है।लेकिन इंटरनेट का तेजी से विस्तार होने तथा पुराने एड्रेसों के खत्म होने के कारण 1995 में एक नया एड्रेसिंग सिस्टम आईपीवी6 विकसित किया गया। इसे आरएफसी 2460 भी कहा जाता है।

WWW: वेव ब्राउज़र दरअसल एक सॉफ्टवेयर ऐप्पलीकेशन है जिससे वर्ल्ड वाइड वेव (डब्लूडब्लूडब्लू) पर सूचना प्राप्त की जाती है। इसके लिए इंटरनेट कनेक्शन की जरूरत होती है। इस समय प्रमुख ब्राउज़र हैं- इंटरनेट एक्सपलोरर, फायरफॉक्स, गूगल क्रोम, सफारी और ओपरा। इनके अलावा भी कुछ और ब्राउज़र हैं।पहला वेव ब्राउज़र 1990 टिम बर्नर्स ली ने बनाया था और उसका नाम था वर्ल्डवाइडवेव और बाद में उसे नेक्सस का नाम दिया गया था। ऐंड्रॉयड और ब्लैकबेरी के अपने ब्राउजर होते हैं। इंटरनेट का नाम सामने आते ही यह शब्द भी सामने आ जाता है। यह शब्द दरअसल इंटरेनेट की स्पीड से जुड़ा हुआ है। यह शब्द दरअसल मेगाबिट्स प्रति सेकेंड का संक्षिप्त रूप है।

mbps (एमबीपीएस):यह डेटा ट्रांसफर स्पीड से जुड़ा हुआ है क्योंकि डेटा ट्रांसफर की स्पीड मेगाबिट्स में मापी जाती है। बिट डेटा का अंक है। यह शून्य भी हो सकता है या एक भी हो सकता है। लगातार आठ बिट्स एक बाइट के बराबर होता है। यानी कि किसी भी कैरेक्टर के लिए आठ बिट्स चाहिए।मेगाबिट्स का मतलब होता है दस लाख बिट प्रति सेंकेंड डेटा ट्रांसफर दर। यह रफ्तार ही इंटरनेट की स्पीड तय करती है। जितना ज्यादा एमबीपीएस होगा, इंटरनेट उतनी ही रफ्तार से काम करेगा।

टेबलेट कंप्यूटर:आइए हम बाताते हैं कि टेबलेट कंप्यूटर क्या होता है। टेबलेट शब्द दरअसल इसके आकार के कारण ही इस्तेमाल हुआ है। टेबलेट कंप्यूटर एक वायरलेस उपकरण है जिसमें कनेक्टिविटी की व्यवस्था है। यह पूरी तरह से एक कंप्यूटर ही है और इसमें टचस्क्रीन का इस्तेमाल होता है और यह पीसी ऑपरेटिंग सिस्टम मसलन विंडोज या लिनक्स पर चलता है।यह लैपटॉप से छोटा और हल्का होता है। लेकिन मोबाइल फोन से बड़ा और भारी। इसके स्क्रीन पर इलेक्ट्रॉनिक पेंसिल से भी लिखा जा सकता है। इसमें अलग से कीबोर्ड लगाने की भी व्यवस्था होती है। यह अब कई तरह का होने लगा है। ऐप्पल का आईपैड इस समय सबसे सफल टेबलेट है।  अमेरिकी टेक्नोलॉजी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने इस शब्द को पॉपुलर बनाने में बड़ी भूमिका निभाई थी। 1971 में जेरॉक्स कंपनी के एलन के ने पहली बार इसका स्केच बनाया था।

एलईडी:आइए हम बताते हैं कि एलईडी यानी लाइट एमिटिंग डॉयोड आधुनिक टेक्नोलॉजी का एक बेहतरीन नमूना है। यह एक सेमी कंडक्टर है जिससे जब करेंट गुजरता है तो यह रोशनी पैदा करता है। यह रोशनी बहुत चमकदार नहीं होती है और यह सिंगल वेव लेंथ पर होती है।  एलईडी के फायदे बहुत हैं और इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह ऊर्जा की बहुत कम खपत करता है। ज्यादातर एलईडी बैटरी की शक्ति से भी चल जाते हैं। यह बेहद प्रभावी है और गर्मी के बगैर रेडिएशन पैदा करता है। इसकी लाइफ लंबी है, इतनी लंबी कि यह सालों नहीं दशकों तक चल सकता है।इसका इस्तेमाल इंडिकेटर लाइटों के अलावा एलसीडी पैनलों में या फ्लैट कंप्यूटर मॉनिटरों में होता है। घरों में इस्तोमाल होने वाले रिमोट कंट्रोल में भी इसका इस्तेमाल होता है। 

स्मार्ट टीवी:आइए हम बताते हैं कि स्मार्ट टीवी क्या होता है। दरअसल यह कनेक्टेड टीवी या हाईब्रिड टीवी का ही एक रूप है। इसमें इंटरनेट और वेब 2.0 का समागम होता है। साथ ही इसमें कंप्यूटरों और टेलिविजन का संगम भी होता है। यानी कि ऐसा टीवी कंप्यूटरों के गुणों वाला होता है। इनमें ऑनलाइन इंटरऐक्टिव मीडिया, इंटरनेट टीवी, ओवर द टॉप कंटेंट का ज्यादा फोकस होता है। इसके लिए खास तरह की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होता है।यह टीवी कई और तरह के काम में सकता है जैसा आपका कंप्यूटर करता है। इसमें पूरी तरह से ऑपरेटिंग सिस्टम होते हैं ठीक वैसे ही जैसे स्मार्टफोन में होते हैं। इस तरह के टीवी से आप प्रोग्राम देखने सहित ऑनलाइन गेमिंग, सोशल नेटवर्किंग मसलन फेसबुक वगैरह के मजे ले सकते हैं। इसके अलावा इससे अन्य मल्टीमीडिया ऐप्पलीकेशंस का भी फायदा उठा सकते हैं। यह इंटरऐक्टिव भी होता है

ब्रॉडबैंड: ब्रॉडबैंड दूर संचार का माध्यम है जिसके तहत सूचना के आदान-प्रदान के लिए बड़े पैमाने पर फ्रीक्वेंसी उपलब्ध होती हैं। विस्तृत फ्रीक्वेंसी उपलब्ध होने के कारण कई गुनी सूचना कई सारी फ्रीक्वेंसी या चैनलों पर भेजी जाती है। इसमें एक ही समय कई तरह की सूचना भेजी जा सकती है। इसकी तुलना किसी हाईवे या राजमार्ग से की जा सकती है जहां कई लेन होने के कारण ज्यादा से ज्यादा गाड़ियां एक साथ दौड़ सकती हैं।यह इंटरनेट का एक सशक्त माध्यम है। इसे आप बिना फोन लाइन को डिस्टर्ब किए इस्तेमाल कर सकते हैं यानी फोन लाइन के चलते रहते हुए भी यह काम करेगा।

 3 जी:3जी एक टेक्नोलॉजी का नाम है और इसका पूरा मतलब थर्ड जेनरेशन टेक्नोलॉजी है। इस टेक्नोलॉजी से डेटा ट्रांसफर करना कहीं बेहतर तरीके से होता है और यह मोबाइल इस्तेमाल करने वालों को अतिरिक्त सेवाएं मुहैया कराता है। इससे आप मोबाइल फोन पर वीडियो, लाइव टीवी, जीपीएस सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं। दरअसल यह इंटरनेशनल मोबाइल स्पेसिफिकेशन को पूरा करता है जिसे अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार यूनियन (आई टी यू) द्वारा रखा गया है। इस स्टैंडर्ड को पाने के लिए एक सिस्टम चाहिए और यह 3 जी से मिलता है।

टचस्क्रीन:टचस्क्रीन दरअसल एक कंप्यूटर डिस्पले स्क्रीन है जो अपने आप में एक उपकरण भी है। यह स्क्रीन संवेदनशील होता है यानी कि यूजर कंप्यूटर को कमांड पिक्चर या वहां लिखे शब्द छूकर देता है। दबाव पड़ते ही वह हिस्सा सक्रिय हो जाता है और आगे की कार्रवाई शुरू हो जाती है।टचस्क्रीन तीन तरह के होते हैं-रेसिस्टिव, सरफेस वेव और कैपेसिटिव। इनके काम करने का तरीका अलग होता है। इनमें रेसिस्टिव टचस्क्रीन सबसे सस्ते होते हैं जबकि कैपेसिटिव टचस्क्रीन सबसे ज्यादा क्लेरिटी वाले होते हैं। 

आईपैड :आईपैड एक तरह का टेबलेट कंप्यूटर है जिसे अमेरिकी कंपनी ऐप्पल ने बनाया है यह आकर में लैपटप से छोटा और स्मार्टफोन से बड़ा होता है. यह मूल रुप से ऑडियो-वीडियो मीडिया खासकर ई बुक्स वगैरह के लिए बेहतर है। उसके अलावा यह फिल्में देखने, गेम्स खेलने और वेब कंटेंट के लिए उपयोगी होता है।

हैकिंग :हैकिंग का मतलब है किसी दूसरे के कंप्यूटर नेटवर्क या अकाउंट में बिना अनुमति के या अवैध तरीके से घुसना। कोई भी हैकर पहले आसान से टारगेट ढूंढ़ता है और फिर उसके सहारे और कंप्यूटरों को निशाना बनाता है। इस हमले के पीछे उसका उद्देश्य पूरे सिस्टम पर कब्जा करना होता है। इससे वह उस सिस्टम में एडिट, डीलिट, इन्स्टाल या फिर कोई भी फाइल किसी अन्य यूजर के फाइल में डाल सकता है।

MMS : इसका पूरा अर्थ है मल्टीमीडिया मेसेजिंग सर्विस। इसमें मोबाइल फोन के जरिये मल्टीमीडिया संदेशों जिनमें चित्र, वीडियो वगैरह सभी होते हैं, को भेजने की सुविधा होती है। यह एसएमएस यानी शॉर्ट मेसेजिंग का ही वृहत रूप है। लेकिन इनमें सबसे बडा़ फर्क इसे भेजने के तरीके में है। यह भेजने वाले के हैंडसेट से एनकोड होकर ईमेल की तरह जाता है और प्राप्तकर्ता के सर्वर में पहुंच जाता है जिसे एमएमएससी कहा जाता है और फिर वह देखता है कि प्राप्तकर्ता के फोन में इसे रिसीव करने की व्यवस्था है या नहीं। अगर है तो यह एक अस्थायी सर्वर में पहुंच जाता है। वहां से वह प्राप्तकर्ता के हैंडसेट में पहुंच जाता है। ईमेल और एमएमएस की कार्य प्रणाली कमोबेश एक जैसी ही है।

पुश मेल:पुश मेल या पुश ईमेल एक तरह का ई मेल है जो रियल टाइम आधार पर होता है। यानी इसे जिस समय भेजा जाता है रिसीवर को उसी समय मिल जाता है। पुश मेल के तहत ईमेल को धकेल दिया जाता है यानी इसे सीधे भेजा जाता है। अमूमन ईमेल जब भेजा जाता है तो वह एक सर्वर में जमा होता है और फिर वहां से प्राप्तकर्ता के मेल बॉक्स में भेज दिया जाता है। प्राप्तकर्ता जब तक अपना मेल नहीं खोलेगा तब तक उसे वह मेल नहीं मिलेगा लेकिन यहां ऐसा कुछ नहीं होता। यह ईमेल बिना किसी रुकावट के सीधे प्राप्तकर्ता को भेजी जाती है। वहां पहुंचते ही यह तुरंत सूचना देता है और प्राप्तकर्ता उसे पढ़ लेता है। इसमें मेल डिलिवरी में वक्त बर्बाद नहीं होता है क्योंकि मेल को कहीं प्रतीक्षा नहीं करनी होती है

HDD : हार्ड डिस्क जिसे हार्ड ड्राइव या एचडीडी भी कहते हैं।हार्ड डिस्क बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रोमैगनेटिकली चार्ज्ड सतह पर तुरंत डेटा उपलब्ध कराता है। दरअसल इसमें ऑपरेटिंग सिस्टम, सॉफ्टवेयर टाइटल, डेटा स्टोरेज उपकरण वगैरह सभी फाइल किए जाते हैं। आधुनिक कंप्यूटरों में एक ही हार्ड डिस्क होता है और उनमें अरबों गीगाबाइट स्टोरेज क्षमता होती है।हार्ड डिस्क एक किताब की तरह होता है और काफी भारी भी होता है। इसके पिछले हिस्से में एक केबल भी होती है जो इसे मदरबोर्ड से जोड़ती है।

LCD : एलसीडी का पूरा मतलब है लिक्विड क्रिस्टल डिस्पले और यह फ्लैट यानी चिपटी सतह पर तस्वीर दिखाती है। यह इलेक्ट्रॉनिक विजुअल डिस्पले या विजुअल डिस्पले के जरिये होता है। दरअसल इनमें लिक्विड क्रिसिटलों के लाइट मॉड्यूलिंग प्रॉपर्टीज का इस्तेमाल होता है। ये सीधे प्रकाश नहीं छोड़ते हैं और इन पर ही चमक दिखती है।एलसीडी का इस्तेमाल कई तरह के ऐप्पलीकेशनों मसलन कंप्यूटर मॉनिटर, टवी, इन्स्ट्रूमें पैनेल्स वगैरह में होता है। इनका इलेक्ट्रॉनिक सामानों में बड़े पैमाने पर इस्तेमैल होता है। एलसीडी में ऊर्जा की बचत होती है और यह कम बिजली की खपत करता है।

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