Spread the love

सरकारी शासन में ईमानदारी

वर्तमान में परत दर परत घोटाले और उनमे संलिप्त मंत्रियो एवं उनके सगे सम्बन्धियों के शमिल होने से सरकार के शासन में अधिक पारदर्शिता, ईमानदारी और जवाबदेही के लिए बहस होना स्वभाविक है ।
लेकिन यह एक चिंता का विषय भी है जो कई प्रश्नों एवं उनसे जनित पूरक प्रश्नों को जन्म देता है। सरकार के घरेलू और विदेशी सरकारी अधिकारियों द्वारा रिश्वतखोरी से निपटने के लिए कानून को अधिनियमित करने के लिए शुरूआत तो की गयी है। लेकिन शासन में मंत्रियों के संलिप्त होने पर जबाबदेही सुनिश्चित होना चाहिए।सरकार शासन में अधिक पारदर्शिता, सत्यनिष्ठा, ईमानदारी और जवाबदेही के लिए सुधारों में कायम करने के लिए प्रतिबद्ध है। वह प्रतिबद्धता लगता है की देश और आम जनता के प्रति न होकर परिवार और रिश्तेदारों तक सिमट कर रह गया है। देश के एक इतालवी कंपनी से वीवीआईपी हेलीकॉप्टरों की खरीद के लिए रु 3,600 करोड़ रुपये के सौदे में घोटाले से हिल गया था ।
अभी हाल ही में एक मंत्री के रिश्तेदारों द्वारा एक ऑफिसर को रेलवे बोर्ड के मेम्बर बनाने के लिए रिश्वत लिए जाने का मामला प्रकाश में आया है और सीबीआई दवार गिरफ्तारियां की जा रही है। सिविल सर्विसेज के लिए सिलेबस बनाते वक्त UPSC को इसका ध्यान अवश्य आया होगा तभी नए सिलेबस में इसका समावेश किया है ?
आइये अब जाने की इस संदर्भ में सरकार द्वारा जबाबदेही (accountability) तय करने के लिए क्या कदम उठाये जाने चाहिए जिससे जनता का सरकार के प्रति विश्वसनीयता बहाल हो सके। इसके लिए सरकार सीटी ब्लोअर्स में प्रस्तावित कानून के लागू होने को प्राथमिकता देता है ।संरक्षण विधेयक, सार्वजनिक अंतर्राष्ट्रीय संगठन विधेयक में विदेशी सार्वजनिक अधिकारियों और भारतीय अधिकारियों की रिश्वत की रोकथाम, नागरिक शिकायत का अधिकार विधेयक निवारण, और लोकपाल विधेयक जैसे बिल तो पहले ही संसद में पेश किये जा चुके है। परन्तु सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या सिर्फ कानून से शासन में जबाबदेही, ईमानदारी और सत्यनिष्ठा के साथ पारदर्शिता कार्यों में दिखेगा ? इस प्रश्न  का जबाब देना मुश्किल ही नहीं लगभग नामुमकिन है। यह तभी संभव है जब कानून के साथ साथ नैतिक मूल्यों के प्रविष्टी हेतु सामाजिक मूल्यों का चतुराई से दोषियों के प्रति उपयोग किया जाना चाहिए।
इसके अतिरिक्त सरकार दोषी को सख्त सज़ा दिलाने और अधिक प्रभावी ढंग से ईमानदार सरकारी कर्मचारियों को बचाने के लिए भ्रष्टाचार निरोधक कानून के लिए संशोधन पर विचार कर रही है।

सभी कानून तभी कारगर होंगे जब जनता जागरूक होगी।इसके लिए निम्नलिखित उपाय किये जाने चाहिए ।

  • भ्रस्टाचार में लिप्त मंत्रियों तथा अधिकारीयों को अपने पद से तत्काल इस्तीफा देने चाहिए ।
  • इस्तीफा न देने कि स्थिति में किसी भी व्यक्ति को जाँच कि प्रक्रिया पूरी होने तक उसके कार्य से ससपेंड तत्काल प्रभाव से करना चाहिए। 
  • केस कि सुनवाई पूरी होने तक भी उसे किसी और पद पर न तो नियुक्त किया जाना चाहिए न ही उसे चुनाव लड़ने के लिए योग्य घोषित किया जाना चाहिए
  • भ्रस्टाचार में किसी भी तरह के संलिप्तता पाए जाने पर समाजिक बहिष्कार होने चाहिए।ऐसे व्यक्तियों के चुनाव लड़ने पर पूरी तरह से प्रतिबन्ध लगना चाहिए। आज कल ऐसा देखा जा रहा है कि कई मंत्री जेल कि हवा खाने के बाद भी तुरंत चुनाव में भाग लेते है और अपने खिलाफ लगे आरोपों को राजनितिक साजिश बताकर जनता को गुमराह कर देते है।
  • केंद्र और सभी राज्य सरकार के कार्यालयों में कार्य निष्पादन कि अवधि तय किये जाने चाहिए। 
  • त्वरित गति से कार्य का ईमानदारी से निष्पादन करने वाले कर्मचारियों को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए एवं समय से कार्य न करने वाले कमचारियों को दण्डित किया जाना चाहिए।
Author