तुम हकीक़त नहीं हो हसरत हो
जो मिले ख्वाब में वोह दौलत हो
मैं तुम्हारे दम से ही जिंदा हूँ
मर ही जाऊ जो तुमसे फुरसत हो
तुम हो खुशबु के ख्वाब की खुशबु
और उतनी ही बेमुरवत हो
तुम हो पहलू में पर करार नहीं
यानि ऐसा है की फुरक़त हो
तुम हो अंगड्द्यी रंग ओ निखत की
कैसे अन्द्द्यी से शिकायत हो
किस तरह छोड़ दू तुम्हे जाँ
तुम मेरी ज़िन्दगी की आदत हो
किस लिए देखती हो आइना
तुम तो खुद से भी खूबसूरत हो
दास्ताँ ख़तम होने वाली है
तुम मेरी आखिरी मोहब्बत हो !!!!!!!
चीख लिखूंगी, पुकार लिखूंगी
जिंदगी को झकझोरने वाली राग लिखूंगी |
गरीबी लिखूंगी, भूख लिखूंगी
सर्दी में कपकपाती रूह लिखूंगी |
जिस्म लिखूंगी, बलात्कार लिखूंगी
पुलिस की वर्दी पर दाग लिखूंगी |
नेता लिखूंगी, निति लिखूंगी
देश को छलनी करने वाली राजनीती लिखूंगी |
समाज लिखूंगी, सत्कार लिखूंगी
मानवता की अंतिम संस्कार लिखूंगी |
अभी तो लिखने की शुरुवात है
अब मैं को सिर्फ मैं लिखूंगी ….
हमने भी ज़माने के कई रंग देखे है
कभी धूप, कभी छाव, कभी बारिशों के संग देखे हैजैसे जैसे मौसम बदला लोगों के बदलते रंग देखे हैऔर कभी कभार जज्बातों के आँसू भी बहाया है
अक्सर लोगो ने मेरा और आँसू का मजाक उराया हैअचानक ज़िन्दगी ने एक नया मोड़ लिया
और हमने अपनी परेशानियों को बताना ही छोड़ दियाअब तो दूसरों की जिंदगी मैं भी उम्मीद का बीज बो देते है
और खुद को कभी अगर रोना भी पड़े तो हस्ते हस्ते रो देते है
दिन लुटा बैठा अमानत रौशनी के गाँव में
रास्ता भटकी हैं साँसें जिन्दगी के गाँव में
जिन्दगी ने, जिन्दगी भर दर्द के ताने सहे
एक पल ठहरी बेचारी जो ख़ुशी के गाँव में
आज जंगल में अमन के गीत गाती कोयलें
नफरतों का शोर फैला आदमी के गाँव में
एक तुतलाती हंसी का मोल उससे पूछिए
जिसने अपने दिन गुज़ारे बेबसी के गाँव में
हर जनम में वह यहाँ बेमोल ही बिकता रहा
जो रतन पहुंचा नहीं था पारखी के गाँव में
हर गली हर मोड़ पर बरसे थे उस पर तंज़ ही
एक चहरा जब गया था आरसी के गाँव मेंIf your success is not on your own terms, if it looks good to the world but does not feel good in your heart, it is not success at all…
हम हर ख्वाब में तुझे तलाश किया करते है,
हर हाल में तेरे न मिलने का मलाल किया करते है |जब तेरी याद में, अश्क आँखों से छलक जाते है,
वो भी जमीं पे, तुझे तलाश किया करते है |जब भी हवाओं से, तेरी महक आती है,
हम उनसे भी तेरी बात किया करते है |जाता रहा मय से शुरुर, तेरे जाने के साथ ही
साकी मयखाने में नशा तलाश किया करते है |
दुनिया जिसे कहते है , जादू का एक खिलौना है
मिल जाये तो मिट्टी, खो जाये तो सोना है
आच्छा सा कोई मौसम , तनहा सा कोई आलम
हर वक़्त का रोना, तो बेकार का रोना है
बरसात का बादल तो दीवाना है क्या जाने
किस राह से बचना है किस छत को भिगोना है
यह वक़्त जो तेरा है यह वक़्त जो मेरा है
हर गम पे पहरा है फिर भी इसे खोना है
आवारामिज़ाज़ी ने फैला दिया आगन को
आकाश की चादर है, धरती का बिछौना है